
साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2018 अर्पण समारोह संपन्न
हिंदी के लिए चित्रा मुद्गल, उर्दू के लिए रहमान अब्बास एवं पंजाबी के लिए मोहनजीत सिंह हुए पुरस्कृत
साहित्य अकादेमी द्वारा आयोजित किए जा रहे साहित्योत्सव का मुख्य आकर्षण साहित्य अकादेमी पुरस्कार 2018 के विजेताओं को पुरस्कृत किया जाना था। यह पुरस्कार अर्पण समारोह कमानी सभागार में आयोजित किया गया। प्रख्यात ओड़िया लेखक और साहित्य अकादेमी के महत्तर सदस्य मनोज दास समारोह के मुख्य अतिथि थे तथा प्रख्यात श्रीलंकाई लेखक और साहित्य अकादेमी के प्रेमचंद फ़ेलोशिप से सम्मानित सांतन अय्यातुरै समारोह के विशिष्ट अतिथि। ये पुरस्कार साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार द्वारा प्रदान किए गए।
पुरस्कृत लेखक थे सनन्त तांति, (असमिया), संजीव चट्टोपाध्याय (बाङ्ला), रितुराज बसुमतारी (बोडो), इन्दरजीत केसर (डोगरी), शरीफा विजलीवाला (गुजराती), चित्रा मुद्गल (हिंदी), के.जी. नागराजप्प (कन्नड), मुश्ताक़ अहमद मुश्ताक़ (कश्मीरी), परेश नरेंद्र कामत (कोंकणी), वीणा ठाकुर (मैथिली), एम. रमेशन नायर (मलयाळम्), बुधिचंद्र हैस्नांबा (मणिपुरी), मधुकर सुदाम पाटील (मराठी), लोकनाथ उपाध्याय चापागाईं (नेपाली), मोहनजीत सिंह (पंजाबी), राजेश कुमार व्यास (राजस्थानी), रमाकांत शुक्ल (संस्कृत), श्याम बेसरा (संताली), खीमन यू. मूलाणी (सिंधी), एस. रामकृष्णन (तमिऴ), कोलकलूरि इनाक्(तेलुगु) एवं रहमान अब्बास (उर्दू)। आज के समारोह में अंग्रेज़ी एवं ओड़िया के पुरस्कृत लेखकों को छोड़कर सभी रचनाकारों को साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष द्वारा सम्मानित किया गया। सम्मान में ताम्रफलक और एक लाख रुपये की राशि का चेक भेंट किया गया। अंग्रेज़ी एवं ओड़िया के लेखक अस्वस्थ्यता के कारण यह सम्मान ग्रहण नहीं कर सके।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में साहित्य के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबार ने कहा कि साहित्य अकादेमी पुरस्कारों ने जो प्रतिष्ठा प्राप्त की है वो हमारी परंपराओं के प्रति वो निष्ठा है जो हमने वर्षों के परिश्रम से हासिल की है। भारत की सांस्कृतिक विविधता ही वह प्रेरक तत्त्व है जो हमें एक दूसरे के प्रति संवाद स्थापित करने का अवसर प्रदान करती है। भूमंडलीकरण के इस समय में भी हमारी भाषाई विविधता को बचाए रखने के लिए साहित्य की आवश्यकता और उसका सम्मान किया जाना जरूरी है। साहित्य अकादेमी ने इस विविधिता का सम्मान अनुवाद के जरिए भी किया है। साहित्य अकादेमी बेहतर अनुवादों के लिए भी जानी जाती है। हमारी पहचान अपनी जड़ों में जुड़े रहने में ही है और मैं भी इसी पहचान का सम्मान करता हूँ।
समारोह के बाद पद्म विभूषण से अलंकृत प्रख्यात नृत्यांगना व विदुषी सोनल मानसिंह द्वारा नाट्य कथा: कृष्णा का मंचन किया गया।
मीडिया से बातचीत करते हुए लेखकों ने अपनी रचना-प्रक्रिया को लेकर मीडिया और श्रोताओं के सवालों के जवाब दिए। हिंदी कृति के लिए पुरस्कृत लेखिका चित्रा मुद्गल जी ने कहा कि मेरी पुरस्कृत कृति पोस्ट बॉक्स नं. 203, नाला सोपारा एक अपराध बोध से उपजी है। यह रचना ट्रांसजेंडर लोगों की पहचान से जुड़ी हुई है। कुछ रचनाकारों की कुछ कृतियाँ उनके अपराध-बोध की संतानें होती हैं। मैं यह उपन्यास लिख लेने के बाद उस अपराध-बोध से मुक्त नहीं हो पाई हूँ, जिससे मुक्त की कामना में मुझसे यह उपन्यास लिखवाया। हाशिए पर दलित और स्त्रियों को भी कुछ-न-कुछ अधिकार उपलब्ध हैं लेकिन ‘ट्रांसजेंडर’ लोगों को अभी भी हमने तिरस्कृत कर मानवीय रूप में जीने के अधिकार तक छीने हुए हैं।