कैंसर को दे मुहतोड़ जवाब : आई एम एंड आई विल

कैंसर भारत में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बीमारी बन गया है। एक अनुमान के मुताबिक अगले साल यानी सन 2020 तक कैंसर के 17 लाख से अधिक नए मामले इस देश में सामने आ सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर दरअसल गलत लाइफस्टाइल के कारण बढ़ने वाली बीमारी है जिसकी शुरुआती डायग्नोसिस और प्रबंधन से इससे बचना और उबरना संभव है। शायद इसलिए इस बार वर्ल्ड कैंसर डे का थीम भी आई एम एंड आई विल रखा गया है यानी मरीज प्रबल इच्छाशक्ति से इस जानलेवा रोग को मात दे सकता है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ;आईसीएमआर के मुताबिक, अगले चार साल के दौरान कैंसर से जुड़ी मौतों के मामले भी 7.36 लाख से तेजी से बढ़कर 8.8 लाख तक पहुंचने की आशंका है। डॉक्टरों का कहना है कि जागरूकता के अभाव में अपर्याप्त डायग्नोसिस होने के कारण कैंसर के 50 प्रतिशत मरीज तीसरे या चौथे चरण में पहुंच जाते हैं जिस वजह से मरीज के बचने की संभावना बहुत कम रह जाती है। जहा पुरुषों में प्रोस्टेट, मुंह, फेफड़ा, पेट, बड़ी आंत का कैंसर आम है तो वही महिलाओं में ब्रेस्ट और ओवरी कैंसर के ज्यादातर मामले देखने को मिलते है। इनका सबसे बड़ा कारण बदलता लाइफस्टाइल, प्रदूषण, खानपान में मिलावट और तंबाकू या धूम्रपान के सेवन का बढ़ता चलन है बताते है डॉ अतुल कुमार श्रीवास्तव, सीनियर कंसलटेंट, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल।
जैसाकि हम जानते हैं कि दुनिया में मौत का एक बड़ा कारण कैंसर है और विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि हर साल इस वजह से 80 लाख से भी अधिक लोगों की मौत हो जाती है। अक्सर कई बड़ी हस्तियों के कैंसर की चपेट में आने की खबर भी सुनते हैं। हाल के दिनों में फिल्मी सितारे इरफान खान, सोनाली बेंद्रे और राकेश रोशन के कैंसरग्रस्त होने की खबर मिली और सही समय पर इलाज शुरू हो जाने से अब वह कैंसर से उबर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि नियमित जांच के अलावा शुरुआती चरण की पहचान कैसे की जाए।
कैंसर के लक्षणों को कैसे पहचानें
डॉक्टर बताते हैं कि शरीर के किसी हिस्से में अनावश्यक गांठ हो जाए या किसी अंग से अकारण रक्तस्राव होने लगे तो तत्काल परामर्श लेने और जांच कराने की जरूरत है। शरीर के किसी अंग में वृद्धि या त्वचा के रंग में बदलाव इसके शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।
डॉक्टर से कब परामर्श लेना चाहिए
यूरिन और ब्लड टेस्ट कराने पर जब किसी तरह की असामान्य स्थिति सामने आती है तो यह कैंसर का कारण बन सकता है। ऐसी स्थिति में कॉमन ब्लड टेस्ट के दौरान श्वेत रक्त कोशिकाओं के प्रकार या संख्या में भी अंतर आ सकता है। इसके आलावा सीटी स्कैन, बोन स्कैन, एमआरआई, पीईटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड तथा एक्स.रे का विकल्प भी उपलब्ध हैं। परन्तु कैंसर की निर्णायक पुष्टि के लिए बायोप्सी टेस्ट ही एकमात्र तरीका है। इसमें कोशिकाओं का सैंपल लेकर जांच की जाती हैं।
कैंसर की पुष्टि हो जाने के बाद कैंसर का स्टेज निर्धारित किआ जाता हैं ताकि इलाज के विकल्पों और इस बीमारी से उबरने की संभावनाओं पर विचार किया जा सके। कैंसर के लक्षणों की पहचान एक से चार चरण तक की जाती है और चौथे चरण को एडवांस्ड स्टेज भी कहा जाता है जिसमें मरीज के बचने की संभावना बहुत कम रह जाती है। कैंसर के बढ़ते मामलो की वजह परिवार में कैंसर की पृष्ठभूमि, फल सब्जियों में माध्यम से पेस्टीसाइड्स ग्रहन करना, तंबाकू एवं तंबाकू उत्पादों का इस्तेमाल, अस्वस्थ खानपान के साथ.साथ अस्वास्थ्यकर लाइफस्टाइल अपनाना और अनियमित स्वास्थ्य जांच आदि हैं।
डॉ जे बी शर्मा, सीनियर कंसल्टेंटए मेडिकल ऑन्कोलॉजी, एक्शन कैंसर हॉस्पिटल का कहना है कि लिहाजा कैंसर के खतरनाक मामलों से बचने और उबरने का एकमात्र उपाय नियमित जांच, स्वस्थ लाइफस्टाइल, धूम्रपान त्यागना, शुद्ध और पौष्टिक खानपान, फलों.सब्जियों का ज्यादा सेवन, स्वच्छ आबोहवा, व्यायाम और नियमित दिनचर्या ही है।
हेल्दी डाइट कैंसर का रिस्क फैक्टर कम करने में मददगार
- विभिन्न वेजीटेबल, फ्रूट, सोए, नटस, होल ग्रेन और बीन्स से भरपूर प्लांट बेसड संतुलित डाइट कैंसर से लडने में काफी हद तक मददगार हो सकती है।
- फलों में एंटीआॅक्सीडेंट जैसे बेटा केरोटीन, विटामिन सी, विटामिन ई और सेलेेनियम होते हैं। ये विटामिन कैंसर से बचाव करते हैं और शरीर में सेल्स को बेहतर ढंग से फंक्शन करने में मदद करते हैं।
- लाइकोपीन से भरपूर फूड जैसे टमाटर, अमरूद, वाटरमेलन प्रोस्टेट कैंसर के रिस्क फैक्टर को कम करते हैं। वही रेड मीट कैंसर के खतरे को पैदा करता है
कैंसर का डायग्नोस
बायोप्सी टेस्टर: शरीर के किसी हिस्से में लम्प हो जाता है तो उसमें कैंसर के पनपने की संभावना का पता लगाने के लिए लंप का एक टुकड़ा लिया जाता है और इस दौरान लंप में मौजूद सेल्स और टिश्यूज का लैब में टेस्ट किया जाता है। जिससे कैंसर की पुष्टि होती है।
इमेजिंग टेस्टर: इसके अलावा कैंसर की पुष्टि के लिए लंप का इमेंजिंग टेस्ट भी किया जाता है। इस प्रक्रिया में माइक्रोस्कोप के द्वारा कैंसर का पता लगाया जाता है। जरूरी नहीं है कि सभी लंप कैंसर हों। सच यह है कि सभी टयूमर कैंसर नहीं होते हैं।
कैंसर ट्रीटमेंट
इसके ट्रीटमेंट के कई प्रकार हैं। लेकिन इलाज कैंसर के अनुसार ही किया जाता है।
- सर्जरी
- कीमोथेरेपी
- रेडियोथेरेपी
- इम्यूनोथेरेपी
- टारगेटिड थेरेपी
- हार्मोन थेरेपी
- स्टेम सेल ट्रांसप्लांट
- प्रिसिशन मेडिसिन
कैंसर के इलाज से कम हो सकती है फर्टिलिटी
डॉ श्वेता गुप्ता क्लिनिकल डायरेक्टर और सीनियर कंसल्टेंट फर्टिलिटी सलूशन मेडिकवर फर्टिलिटी का कहेना है, कैंसर के मामले तेजी से बढ़े हैं लेकिन आधुनिक चिकित्सा की बदौलत इससे बचने की दर में भी इजाफा हुआ है। हालांकि कैंसर का इलाज कराने से पिता या माता बनने की क्षमता यानी प्रजनन क्षमता कमजोर पड़ जाती है। सर्जरी कीमोथेरापी या रेडियोथेरापी जैसे उपचार से ओवेरियन रिजर्व या स्पर्म घट सकते हैं।
ऐसे लोग यदि कैंसर का इलाज कराने के बाद समय पर काउंसिलिंग और इलाज
शुरू करा लें तो उनमें फर्टिलिटी बचाए रखने की संभावना अधिक रहती है। पुरुषों के लिए जहां स्पर्म बैंक में सुरक्षित रखने का विकल्प है, वहीं महिलाओं के लिए अंडाणु को फ्रीज रखना उपयुक्त विकल्प है। ये सुविधाएं किसी फर्टिलिटी सेंटर में मिल जाती हैं जहां इलाज षुरू कराने से पहले संपर्क किया जा सकता है। इसके अलावा यदि स्पर्म बहुत ही कम रहे तो डोनर समूहों जैसे विकल्पों पर भी विचार किया जा सकता है। अनुकूल परिणाम पाने के लिए ऑन्कोलॉजिस्ट फर्टिलिटी स्पेशलिस्टए फैमिली फिजीशियनए साइकोलॉजिस्टन, यूरोलॉजिस्ट, गायनकोलॉजिस्ट, काउंसलर जैसी बहुविभागीय टीम से संपर्क किया जा सकता है।