भय और भ्रम– जी हां दोस्तों जैसा कि आप सभी जानते हैं, भय और भ्रम इस दुनिया में सबसे खतरनाक बीमारी है, जो किसी को एक बार लग जाए तो वो अंदर तक झकझोर देती है, यानी आपको पूरी तरह से डरा कर रख देती है, भ्रमित कर देती है।
जब दिल्ली में दंगों की झूठी अफवाह फैली तब उस झूठी अफवाह ने पूरी दिल्ली के लोगों को भ्रमित और डराकर रख दिया था,यहां तक कि सिर्फ कुछ ही सेकंडो में दिल्ली के कुछ एरिया में लोग सड़कों पर इस तरह भागने लगे जैसे उनका कोई पीछा कर रहा हो, यही है, भ्रम और व्यक्ति का डर,यहाँ तक कि ऐसी अफवाहों से डरकर दिल्ली में रह रहे लोग तो यहां तक सोचने लगे, कि अब दिल्ली उनके लिए सुरक्षित नहीं ठीक उसी प्रकार कोरोना वायरस भी यही कर रहा है,
पूरी दुनिया को आंख दिखाने वाला डेढ़ सौ करोड़ की जनसंख्या वाले चीन आज खुद डरा हुआ है, जो कभी पूरी दुनिया को डरा कर रखता था। आज वह खुद अपने ही देश में फैले वायरस एक छोटे से सूक्ष्म से जंतू से डरा हुआ है।
चीन ही क्यों? पूरी दुनिया यहां तक कि सबसे ताकतवर देश तक अपने आप को समेटे हुए हैं। बंदिश बने हुए हैं, यहां तक कि इस सूक्ष्म से जंतु से भयभीत होकर उन्होंने अपने आपको बंद कर रखा है, यही है प्रकृति, जो अच्छे-अच्छे को मोहरा बना देती है। अच्छे-अच्छे का घमंड चूर कर देती है, यहां तक कि कुर्सी पर इंसान खत्म हो जाता है, सिर्फ तस्वीर मेज पर रखी रह जाती है, अपनी ताकत का रौब दिखाने वाले देश आज प्रकृति के इस छोटे से सूक्ष्म जंतु से भयभीत है। यही है, भय जिसने आज पूरी दुनिया को डरा रखा हुआ है, यही प्रकृति है,
यहां तक कि इस जाति- धर्म, वर्ण- भेद, प्रांतवाद आदि के घमंड में चूर इन सभी का घमंड, भ्रम इस प्रकृति द्वारा दिए छोटे से जंतु ने कोरोना वायरस ने तोड़ दिया है।
एक झटके में अमीर से गरीब तक किसी को नहीं छोड़ा, सबको एक नजर से एक साथ बंदी बना दिया, यहां तक कि दूसरों की की सीमाओं पर कब्जा करने वाले चीन को अपने ही 20 हजार लोगों को मौत के घाट उतारने की भाषा भी बोलने पड़ी, यही है, प्रकृति की ताकत, और उसका भय यही है । प्रकृति द्वारा दिए इस छोटे से वायरस ने एक संदेश दिया है। इस संसार के ताकतवर देश चीन अमेरिका भी प्रकृति के आगे बेबस है, लाचार है, जी हां दोस्तों, प्रकृति ने शायद यह संदेश दिया है, कि खुद भी “जियो और दूसरों को भी जीने दो” वरना परिणाम तो आप सभी जानते हैं।
सुनामी है, भूचाल है, कोरोना है, और प्रकृति द्वारा दी आपदाएं है। प्रकृति ने दोस्तों यही संदेश दिया है, कि सब मिल जुल कर रहो, जब प्रकृति अपनी कोई भी चीज बिना किसी भेदभाव के संसार को प्रदान करती है, तो फिर इस संसार में पैदा हुआ, जीव क्यों भेद करता है। आदमी का घमंड, अकड़ सब धरा का धरा रह जाता है। इसीलिए प्यार से हर इंसान को जीतना चाहिए डराकर, अपनी ताकत के बल पर, अपने घमंड के बल पर, अकड़ के बल पर, सत्ता के बल पर, कुर्सी के बल पर नहीं, यह सब धरी की धरी रह जाती है। क्योंकि प्रकृति किसी को नहीं छोड़ती, जैसे कोरोना ने नहीं छोड़ा, बिना किसी भेदभाव के, बिना किसी रंगभेद के, वर्णभेद के, प्रांत भेद के, सब को अपनी चपेट में लिया। इसीलिए वक्त से डरना चाहिए, इंसान से नहीं, अगर जीना है तो प्यार से, अपनी ताकत पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए यही है।
जिंदगी का दस्तूर क्योंकि समय किसी का नहीं हुआ, इंसान चले जाता है, सिर्फ उसकी अच्छाई, उसके अच्छे काम इस दुनिया में रह जाते हैं। समय जब उन नोटों का नहीं हुआ, जो बाजार को खरीदने की ताकत रखता था। दो पल की जिंदगी है। किसी से डरकर या किसी को डराकर नहीं जी जाती जिंदगी, खुद भी प्यार से जिओ और दूसरों को भी जीने दो वरना, यह जीवन यह जिंदगी यूं ही चली जाती है, समय निकल जाता है, सिर्फ यादें और बातें ही रह जाती है। डर खत्म हो जाता है, और भ्रम टूट जाता है।
Archana singhal