
शुरुवाती चरण में में ही इलाज हो ब्रेन ट्यूमर का
डॉक्टर आशीष श्रीवास्तव, सीनियर कंसल्टेंट, न्यूरोसर्जन, धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्पताल.

सामान्य तौर पर आम जनता की ब्रेन ट्यूमर के बारे में पहली जानकारी सिनेमा, सीरियल्स आदि के ज़रिये आती है, जिसमें किरदार की अंत में या तो मृत्यु हो जाती है या फिर उसकी सफल सर्जरी की दास्तान होती है. असल ज़िन्दगी में भी समाज का एक बहुत बड़ा तबका ब्रेन ट्यूमर के बारे में सही जानकारी से महरूम है. यहां तक की ऐसे भी भ्रम देखे गए हैं की ब्रेन ट्यूमर का अंतिम परिणाम या तो मृत्यु होता है या फिर मरीज़ कोमा में चला जाता है, और या फिर जीवनपर्यन्त उसे तरह तरह की मानसिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. कुल मिलकर एक बहुत बड़े तबके में ब्रेम ट्यूमर के प्रति जागरूकता की आवश्यकता है. बहुत से ब्रेन ट्यूमर सफलतापपूर्वक ठीक किये जा सकते हैं, और इनमे से बहुत से मरीज़ वापस सामान्य ज़िन्दगी में लौट सकते हैं. एक अध्ययन के अनुसार भारत में सरंतरल नर्वस सिस्टम ट्यूमर की दर 5 से 10 प्रति 1,00,000 जनसंख्या की है. हालाँकि यह बीमारी निष्टि ही गंभीर है लेकिन सही जानकारी और समय पर मिला इलाज बहुत सी ज़िंदगियाँ बचा सकता है.
सभी ब्रेन ट्यूमर कैंसरस नहीं होते:-
नॉन कैंसरस ट्यूमर्स को बिनाइन ट्यूमर्स कहा जाता है
कैंसरस ट्यूमर्स को मलिग्नैंट ट्यूमर कहा जाता है
ये लक्षण कभी न करें नज़रअंदाज़:- ब्रेन ट्यूमर के लक्षण इसकी ब्रेन में स्थिति और स्टेज पर निर्भर कर सकते हैं, क्योंकि मस्तिष्क का हरेक हिस्सा कुछ निश्चित संचालनों के लिए ज़िम्मेदार होता है. साथ ही इसके लक्षण ट्यूमर के विकसित होने की तेज़ी पर निर्भर करते हैं, क्योंकि यह उसी के अनुसार मस्तिष्क पर दबाव बना रहा होता जिसके कारण ऐसे लक्षण नाज़र आते हैं. सभी सरदर्द ब्रेन ट्यूमर नहीं होते.
- खासियतें जो बताती हैं कि लक्षण ब्रेन ट्यूमर के हो सकते हैं :-
- बहुत तेज़ सरदर्द होना और दवा लेने पर भी ठीक महसूस न करना
- सरदर्द के साथ उल्टियां होना
- चेतना खोने लगना
- असामान्य रूप से कन्फ्यूज़ होना.
- वयस्कों में दौरे पड़ना
- नज़र में धुंधलापन
- सुनने में दिक्कत
- सेक्स में अरुचि
- व्यवहार में असामान्य बदलाव
- संतुलन बनाने में कठिनाई
क्यों होते हैं ब्रेन ट्यूमर:- इस विषय में हालाँकि बहुत से शोध किये जा रहे हैं, अध्ययन हो रहे हैं लेकिन अभी तक ब्रेन ट्यूमर होने का सही सही कारण नहीं पता लग पाया है. हालाँकि सफल इलाज के क्षेत्र में कामयाबियां भी मिल रही हैं.
केस स्टडी :-
डॉक्टर अनुराग सक्सेना, सीनियर कंसल्टेंट एवम् क्लिनिकल लीड, न्यूरोसर्जरी, स्पाइन सर्जरी, नारायणा अस्पताल, गुरुग्राम :-
इलाज और तकनीकों में आई आधुनिकताओं को देखते हुए ब्रेन ट्यूमर के विषय में अब भ्रम दूर हो जाने चाहिए, माइक्रोस्कोपिक सर्जरी, एंडोस्कोप से लेकर खाने वाली दवाइयां तक हैं जिनसे ब्रेन ट्यूमर की समस्या का समाधान हो सकता है, बल्कि कई केसेस में दवाइयों के सेवन से सर्जरी तक का जोखिम भी टाला जा सकता है, ऐसा ही एक केस हमने बीते समय ट्रीट किया. इलाज में सर्जरी तक परिणाम न आने के दृष्टिकोण से ऐसा ही एक केस अभी हाल नहीं में ट्रीट किया गया जिसमें एक 36 वर्षीय युवक सरदर्द के साथ नज़र में धुंधलापन की शिकायत के साथ हमारे पास आया. और उसको तकरीबन बाकी सभी अस्पतालों में सर्जरी की सलाह दे दी गयी थी.
मरीज़ के ब्रेन ट्यूमर की पुष्टि हो चुकी थी लेकिन लेकिन जांच के बाद पाया गया कि उसके प्रोलैक्टिन ऐडेनोमा ट्यूमर था जो को एक प्रकार का ऐसा ट्यूमर है जिसको खाने वाली दवाइयों के ज़रिये ठीक किया सकता है. और यही किया गया, उसका ट्यूमर बेहद कम हो चूका है और और दवाइयां जारी हैं, जिससे सर्जरी करने की ज़रूरत नहीं पड़ी. मरीज़ का हर 3 महीने में फॉलो अप लिया जाता रहेगा. आज मरीज़ वापस अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में लौट आया है और बहुत बेहतर स्थिति में है. यदि उसके ट्यूमर की अवधि बिना इलाज के और बढ़ जाती तो घातक परिणाम हो सकते थे. साथ ही सर्जरी में तुलनात्मक रूप से आँखों की रौशनी, हार्मोनल इम्बैलेंस, जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता था जिसे समय रहते टाल दिया गया.
माग हमारे शरीर का वह भाग है जिसके थोड़ा सा भी अस्वस्थ होने पर पूरे शरीर के सञ्चालन पर असर पड़ सकता है. इसके बारे में व्यापक स्तर पर जानकारी और जागरूकता की ज़रूरत है. क्योंकि बहुत से ट्यूमर इसी कारण पकड़ में नहीं आते न ही उनका इलाज हो पाता है क्योंकि जब तक इलाज शुरू होता है तब तक स्थिति गंभीर हो जाती है. मेरे अनुभव में प्रति सप्ताह 2 से 3 मरीज़ ब्रेन ट्यूमर संबंधित परेशानियों के साथ आते हैं, जिनमें इसके शुरुवाती चरण, सर्जरी के बाद के परामर्श समेत कई तरह की परेशानियां शामिल होतीं हैं. सही जानकारी के ज़रिये मरीज़ों को समय पर इलाज और आने वाली जटिलताओं को कम करने में मदद मिलेगी.