
दिशा हम देंगे

चल रही है जिंदगी, भटकती, बेजार सी।
दिशा का पता नहीं, सांस है उखड़ रही।।
पगों में लगाम नहीं, विचारों में आयाम नहीं।
संस्कारों को नकारती, युद्ध को पुकारती।।
चाल तेज जरूर है, पर है बेलगाम सी,
हाथ कई जरूर है, पर स्वयं में एकान्त सी।।
न साथ कि फिक्र इसे, न छूटने का गम है।
सरों से इतने घिरा जरूर, मैं है पर कहीं न हम है।।
समय चाहे उद्दंड हो, मौन खड़ा दंड हो।
तूफान चाहे प्रचंड हो, मन होता खंड हो।।
पगों को फिर भी रोक लेंगे, अब और न भटकने देंगे।
तूफानों के वेग को, चक्र से अपने रोक देंगे।।
युद्धों में हो खड़े, शान्ति का हम नाद देंगे।
टूटते संसार को, संकल्प है के साध लेंगे।
राम नाम बीज है, राम नाम आधार है।
राम नाम के घोष से, अब फिर दिशा हम देंगे
लेखक – विक्रम गौड़

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