संगठन का महत्व और भविष्य की दिशा
भविष्य में सफलता के लिए यह अनिवार्य है कि हम व्यक्तिगत आचरण और कामकाज की शैली के प्रति संवेदनशील और चिंतनशील बनें। संगठन का आधार उसकी वैचारिक निष्ठा और सामूहिक प्रयासों पर टिका होता है। मैं आज भी उस दिन और उस व्यक्ति को याद करता हूं, जो मात्र एक इकाई का नेतृत्व कर रहा था। मेरे और उनके साझा परिचित के माध्यम से “सूचना प्रौद्योगिकी (Information Technology) को राजनीति एवं संगठन के विस्तार में उपयोगिता” पर चर्चा करने का अवसर मिला। उनका साधारण और व्यवस्थित घर, उनकी सरलता और दृढ़ विश्वास उनकी विशेषता थी।
यह विषय मेरे लिए रुचिकर था और शायद उनके लिए आवश्यक, इसलिए हमारी चर्चा एक घंटे से अधिक चली। उनकी गंभीरता और सुझावों ने स्पष्ट कर दिया कि वह न केवल विचारों को सुनने बल्कि उन्हें कार्यान्वित करने के लिए तत्पर थे। इस दौरान उन्होंने मुझसे उनके कार्यालय जाकर संबंधित व्यक्ति से चर्चा करने का सुझाव दिया।
दिल्ली के कनॉट प्लेस स्थित उनके कार्यालय में, मुझसे पहले ही मेरे विषय की जानकारी पहुँच चुकी थी। विषय पर विस्तार से चर्चा शुरू ही हुई थी कि अचानक कुछ असहजता का अनुभव हुआ। कुछ देर बाद, जब वह सज्जन वापस आए, तो उन्होंने स्पष्ट किया कि इस विषय पर आगे बढ़ने के लिए मुझे उनके संगठन का हिस्सा बनना होगा।
यह एक चुनौतीपूर्ण क्षण था, क्योंकि मेरा जुड़ाव मेरे संगठन से वैचारिक और दिल से था। मैंने विनम्रता और दृढ़ता से उनके प्रस्ताव को अस्वीकार किया। यह घटना 13 वर्ष पहले की है, लेकिन इसका प्रभाव आज भी मेरे जीवन पर है।
संगठन की प्रासंगिकता
आज भी मेरे लिए “संगठन” का अर्थ वैचारिक निष्ठा और सामूहिक प्रयास है। भारतीय जनता पार्टी का कार्यकर्ता होने के नाते, मैं पार्टी की पाँच मूलभूत प्रतिबद्धताओं—राष्ट्रवाद और राष्ट्रीय एकता, लोकतंत्र, समतामूलक और शोषणमुक्त समाज, सर्वधर्म समभाव, और मूल्य आधारित राजनीति—को दिल से स्वीकार करता हूं।
सामूहिकता, पारस्परिकता और संवाद का महत्व
सत्ता में होने पर कार्यकर्ताओं और नेतृत्व के आचरण में बदलाव स्वाभाविक है। लेकिन, संगठन के मूल सिद्धांत—सामूहिकता, पारस्परिकता और संवाद—को बनाए रखना शीर्ष नेतृत्व की जिम्मेदारी है। यह सुनिश्चित करना होगा कि पार्टी की हर इकाई तक ये सिद्धांत पहुंचे।
बदलते समय में संगठन की चुनौतियां
पिछले कुछ महीनों में हमने यह महसूस किया है कि सामूहिकता, पारस्परिकता और संवाद को किस प्रकार नई तकनीक और बदलती सोच के साथ क्रियान्वित किया जाए। सत्ता में होने के कारण कई अनावश्यक लेकिन महत्वपूर्ण पहलुओं ने संगठन की गतिविधियों को प्रभावित किया है।
आगे की राह
हमें यह समझना होगा कि संगठन का विस्तार और प्रासंगिकता तभी बनी रहेगी जब हम अपने सिद्धांतों पर अडिग रहेंगे। हर कार्यकर्ता को यह जिम्मेदारी लेनी होगी कि वह संगठन की मूलभूत प्रतिबद्धताओं का पालन करते हुए अपने कर्तव्यों को निभाए।
भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में, मैं आश्वस्त हूं कि संगठन के सिद्धांतों का पालन करते हुए, हम अपने राष्ट्र और समाज की सेवा में अग्रसर रहेंगे। यही संगठन की वास्तविक ताकत है, और यही हमारे भविष्य की दिशा तय करेगी